Sunday, May 31, 2020

जीवन कि रोटी

विषय - अतिप्रिय बंधुओं यह सर्वनाश के पहिले की अंतिम चेतावनी है अर्थात जगत ने मन ना फिराया तो सर्वनाश निश्चित है ???

क्योंकि परम प्रधान सृजनहार परमात्मा परमेश्वर यहोवा का सनातन सत्य और जीवंत वचन अतिस्पष्ट रीति से यह उद्घोषणा करता है कि - जो कुछ गाजाम नाम टिड्डी से बचा; उसे अर्बे नाम टिड्डी ने खा लिया। और जो कुछ अर्बे नाम टिड्डी से बचा, उसे येलेक नाम टिड्डी ने खा लिया, और जो कुछ येलेक नाम टिड्डी से बचा, उसे हासील नाम टिड्डी ने खा लिया है। हे मतवालो, जाग उठो, और रोओ; और हे सब दाखमधु पीने वालो, नये दाखमधु के कारण हाय, हाय, करो; क्योंकि वह तुम को अब न मिलेगा॥ देखो, मेरे देश पर एक जाति ने चढ़ाई की है, वह सामर्थी है, और उसके लोग अनगिनित हैं; उसके दांत सिंह के से, और डाढ़ें सिहनी की सी हैं। उसने मेरी दाखलता को उजाड़ दिया, और मेरे अंजीर के वृक्ष को तोड़ डाला है; उसने उसकी सब छाल छील कर उसे गिरा दिया है, और उसकी डालियां छिलने से सफेद हो गई हैं॥जैसे युवती अपने पति के लिये कटि में टाट बान्धे हुए विलाप करती है, वैसे ही तुम भी विलाप करो। यहोवा के भवन में न तो अन्नबलि और न अर्घ आता है। उसके टहलुए जो याजक हैं, वे विलाप कर रहे हैं। खेती मारी गई, भूमि विलाप करती है; क्योंकि अन्न नाश हो गया, नया दाखमधु सूख गया, तेल भी सूख गया है॥ हे किसानो, लज्जित हो, हे दाख की बारी के मालियों, गेहूं और जव के लिये हाय, हाय करो; क्योंकि खेती मारी गई है। दाखलता सूख गई, और अंजीर का वृक्ष कुम्हला गया है। अनार, ताड़, सेव, वरन मैदान के सब वृक्ष सूख गए हैं; और मनुष्यों का हर्ष जाता रहा है॥ हे याजको, कटि में टाट बान्ध कर छाती पीट-पीट के रोओ! हे वेदी के टहलुओ, हाय, हाय, करो। हे मेरे परमेश्वर के टहलुओ, आओ, टाट ओढ़े हुए रात बिताओ! क्योंकि तुम्हारे परमेश्वर के भवन में अन्नबलि और अर्घ अब नहीं आते॥उपवास का दिन ठहराओ, महासभा का प्रचार करो। पुरनियों को, वरन देश के सब रहने वालों को भी अपने परमेश्वर यहोवा के भवन में इकट्ठे कर के उसकी दोहाई दो॥ उस दिन के कारण हाय! क्योंकि यहोवा का दिन निकट है। वह सर्वशक्तिमान की ओर से सत्यानाश का दिन हो कर आएगा।
(योएल 1:4-15)

अतिप्रिय बंधुओं परम प्रधान सृजनहार परमात्मा परमेश्वर यहोवा एलोहीम का करोड़ों करोड़ों धन्यवाद हो इस अद्भुद वचन के लिए, उसकी महिमा का गुणानुवाद युगानुयुग तक होता रहे, क्योंकि वह भला है उसकी करुणा सदा की हैlll

प्रियजनों जैसा कि मैं बार बार कह रहा था कि हम इस अंतिम युग के अंतिम पड़ाव में रह रहे हैं, जिस किसी मनुष्य ने अब भी अपना मन ना फिराया और खुद को सम्पूर्ण आत्मा से प्रभु परमेश्वर येशुआ मेसियाख के पवित्र चरणों में पूरी ईमानदारी से अर्पित ना किया तो सर्वनाश निश्चित है, क्योंकि यह घुटने टेककर अपने किये पर पछताने और पश्चाताप करने का, अर्थात समस्त पाप स्वभाव से मन फिराने का समय है,
लोगों ने कोरोना महामारी को बहुत ही हल्के में लिया था, उसके दुष्परिणाम हम अपनी आँखों से देख ही रहे हैं और तभी अचानक से एक दूसरी आपदा ने हमारी इस भूमि पर हमला कर दिया है, इसे भी हल्के में ना लें क्योंकि जिन्होंने पवित्रशास्त्र बाइबिल का भलीभांति अध्ययन किया है वे जानते हैं की हम सभी अर्थात इस जगत के सम्पूर्ण मानव जाति सर्वनाश के कगार पर खड़े हुए हैं, प्रभु येशुआ के द्वितीय आगमन के पूर्व पश्चाताप और विलाप के साथ मन फिराने का एक अंतिम अवसर अनुग्रह से हमें प्रदान किया गया है और परम प्रधान परमेश्वर का सनातन सत्य और जीवंत वचन अतिस्पष्ट रीति से उद्घोषणा करते हुए कह रहा है कि-
और तुझे और तेरे बालकों को जो तुझ में हैं, मिट्टी में मिलाएंगे, और तुझ में पत्थर पर पत्थर भी न छोड़ेंगे; क्योंकि तू ने वह अवसर जब तुझ पर कृपा दृष्टि की गई न पहिचाना॥
(लूका 19:44)
प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता, जैसी देर कितने लोग समझते हैं; पर तुम्हारे विषय में धीरज धरता है, और नहीं चाहता, कि कोई नाश हो; वरन यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले।
(2 पतरस 3:9)
मैं ने उस को मन फिराने के लिये अवसर दिया, पर वह अपने व्यभिचार से मन फिराना नहीं चाहती।
(प्रकाशित वाक्य 2:21)
हाँ प्रियजनों यही सम्पूर्ण सत्य है सम्पूर्ण जगत के मानव मात्र का कि वह अपने ही बकवास दम्भ में ज़ी रहा है अथवा जीने कि कोशिश कर रहा है वहीं सकल धर्म का बैरी, परमेश्वर का परम विरोधी दुष्ट अति धूर्त शैतान सम्पूर्ण मानव जाति को सर्वनाश के कगार पर लाकर हमें जीने ना देने की अपनी ही कल्पना को साकार करने की धुन में है और परम प्रधान परमात्मा परमेश्वर ने सिर्फ अनुमति दी है ताकि मनुष्य मात्र को अपनी वास्तविकता से रूबरू करा सके उर्दू में कहा जाये तो वह इंसान को उसकी ओकात याद दिलाना चाहता है फिर भी वह हमारा सृजनहार है इसीलिए अब भी वह हमसे अथाह सागर से भी गहिरा प्रेम करता है क्योंकि वह हमारा बचाने वाला भी है, हमें इस आपदा से बचाना भी चाहता है, परन्तु विडंबना ही कहलें कि मनुष्य उसकी चेतावनियों को तुच्छ  जानकर प्राप्त अवसरों को खोता चला जा रहा है, और कुछ लोग तो इसी दम्भ में ज़ी रहे हैं कि मैं तो प्रभु का हूँ भाई, मुझे क्या जरूरत है मन फिराने की क्योंकि मैं तो बचपन से मसीही कहलाता हूँ क्योंकि बचपन से मेरा नाम पॉल है, जॉन है, पीटर है, जोसेफ है हम तो अपने नाम से ही बच जायेंगे अर्थात प्रभु हमारे नामों के अनुसार ही हमें बचा लेंगे परन्त्तु जिसके कान हों वे सुन लें की यह शताब्दी का सबसे बड़ा जोक अर्थात मजाक ठहरेगा, सचमुच यह अत्याधिक हास्यास्पद बात है और मूर्खतापूर्ण भी क्योंकि ऐसा कहकर लोग बहुत बड़ी ग़लतफ़हमी में ज़ी रहे हैं, क्योंकि नामधारी मसीहियों का भी वही हाल होना है जो शेष जगत का और बचेंगे केवल वही जिन्होंने जल और आत्मा से नए जन्म की  पारलौकिक, परम अनुभूति को पा लिया है और जिन्होंने परम प्रधान परमात्मा परमेश्वर प्रभु येशुआ मेसियाख से पवित्रात्मा के द्वारा एकाकार कर लिया हैlll कुल मिलाकर जिन्होंने प्राप्त अवसर को बहुमूल्य समझकर अपने पाप स्वभाव से मन फिरा लिया हो (यूहन्ना 3:1-10, तीतुस 3:3-10,)
अर्थात रोमियों कि पत्री अध्याय 8 के 1 से 14 तक उद्घोषित परम  प्रधान परमात्मा परमेश्वर के सनातन सत्य और जीवंत वचन के अनुसार चलता हो (उपरोक्त वचनों को अत्याधिक ध्यान पूर्वक पढें)
क्योंकि अब देर ना होगी हमें अपने आपको रोमियों की  पत्री 12:1-7 में  लिखे हुए वचनों के आधार पर खुद को पूरी रीति से प्रभु के चारणों में अर्पित करने का अवसर है ये, और प्रभु परमेश्वर स्वयं कहते हैं कि-
और अवसर को बहुमूल्य समझो, क्योंकि दिन बुरे हैं। (आमो. 5:13, कुलु. 4:5)
(इफिसियों 5:16)
अर्थात यही है वो अंतिम अवसर जो इस जगत के लोगों को अपने अनुग्रह से प्रदान किया गया है, अगर अब भी इस अवसर को तुच्छ सा जानकर अपना मन ना फिराएं तो सर्वनाश निश्चित है, ऐसा मैं नहीं वरन परम प्रधान परमात्मा परमेश्वर का सनातन सत्य और जीवंत वचन कहता है lll
प्रियजनों योएल भविष्यद्वक्ता ने हजारों साल पूर्व इन्हीं दिनों को सर्वशक्तिमान कीओर से सर्वनाश का दिन कहा है जैसा कि इसी सन्देश के प्रारम्भ में अति स्पष्ट रीति से  उल्लेखित है, और  इन्हीं बातों की पुष्टि पवित्र शास्त्र बाइबिल के ही अंतिम पुस्तक प्रकाशित वाक्य में भी अतिस्पष्ट रीति से उद्घोषणा करते हुए की गयी है जो कि  आज से तक़रीबन  2000 साल पाहिले, प्रभु येशु मसीह के स्वर्गारोहण के पश्चात्, पहली ही शताब्दी में पवित्रात्मा के द्वारा यूहन्ना प्रेरित ने लिखीं लिखी थीं, और वे सारी बातें ही आज अक्षरशः पूरी होती दिखाई दे रहीं हैं, इसीलिए आज का हर एक सच्चा मसीही, (अर्थात मसीही धर्म का अनुयायी नहीं वरन) मसीह का सच्चा अनुयायी, अत्याधिक व्याकुल है, वह भी खुद अपने लिए नहीं वरन इस जगत के लिए, जो अनजाने ही विनाश की  ओर अति वेग से जा रहा है lll
प्रिय जनों बहुतों ने अभी भी नम्र और दीन होकर मन फिराने अपने किये पर सच्चे मन से पश्चाताप करने के बजाय, अपने अपने हृदयों को अब भी उद्धारकर्ता प्रभु येशु मसीह के प्रति अत्यधिक कठोर कर रखा है क्योंकि मसीह यीशु चंद मुट्ठी भर लोगों या किसी एक कुल या जाति की बपौती नहीं है वरन वह तो सम्पूर्ण मानव जाति का उद्धारकर्ता है इसीलिए किसी मसीहियों की प्रार्थना पर निर्भर ना रहकर प्रत्येक मानव जाति का प्रथम कर्तव्य है, कि मन फिराकर खुद को उसके पवित्र चरणों में अर्पित कर दें परन्तु मनुष्य है कि अपने अपने किये पर शर्मसार होने की बात तो दूर वरन उन्हें रत्ती भर भी रंज नहीं, वरन अपने सृजनहार पर ही सवाल खड़े कर देने पर उतारू हैं, और अभी भी सृजनहार प्रभु परमेश्वर यीशु मसीह को सिर्फ तथाकथित ईसाईयों का कुल देवता समझकर, किसी और परमात्मा से पूछ रहे हैं कि वह इस सर्वनाश की अनुमति क्यों दे रहा है ???
प्रियजनों याद रखें इंसानों के बर्दाश्त की एक हद होती है, तो निश्चित ही मनुष्यों को सृजने वाला परम प्रधान परमात्मा परमेश्वर की भी सहने की एक हद है, परन्तु उसकी दया का जो असीमित है जिसका कोई अंत नहीं हद नहीं क्योंकि वह तो प्रेम है, इसीलिए तो हम अब तक बचे हुए हैं, और निर्मूल नहीं हुए हैं, स्मरण रहे यह तो प्रारम्भ है अंत का, यही समझो कि यही अंतिम चेतावनी है, हमारे मन फिराने के लिए क्योंकि अभी तो आने वाली हैं वे बातें जिन्हें देखकर मनुष्य पहाड़ों से कहेगा कि मेरे ऊपर गिर जाओ ताकि मैं मर जाऊँ, और  इस अति दर्दनाक मंजर से होकर गुजरने से मौत ही भली है, परन्तु लिखा है उस दिन तुमको मौत भी ना मिलेगी, क्योकि जिंदगी और मौत तो उसी परम प्रधान सृजनहार परमात्मा परमेश्वर के हाथ में निहित है, वही तुम्हारे ह्रदय कि कठोरता के अनुसार उस आने वाले अति भयानक दर्द से होकर गुजरने देगा वह भी मौत  दिये बगैर, क्योंकि मौत तो आसान सा रास्ता होता है दर्द से मुक्ति का, परन्तु उन दिनों में मनुष्य मरने में भी नाकाम होगा, ऐसे दिन निःसंदेह आने वाले हैं क्योंकि ऐसा मैं नहीं, वरन पवित्र शास्त्र बाइबिल में, परम प्रधान परमात्मा परमेश्वर के सनातन सत्य और जीवंत वचन हमारे उद्धारकर्ता और प्रभु, यीशु मसीह ने अति स्पष्ट रीति से उद्घोषणा कर दी है, अब किसी भी झूठे भविष्यद्वक्ताओं के लिए अपने नाम और शोहरत के लिए फ़ालतू में चोंच चलाने का कोई मतलब नहीं निकलता वरन ऐसे झूठे लोगों को भी खुद को पवित्रात्मा को पूरी ईमानदारी से सौंप दो और परमेश्वर के मर्म को अनुभव से जानलो, फिर से कहता हूँ अवसर को बहुमूल्य समझो दीन बहुत ही बुरे हैं।
(रोमियों 12:1-7,एवं इफिसियों 5:16)

परम प्रधान परमात्मा परमेश्वर अपने इस अद्भुद सन्देश के द्वारा आपके ज्ञान चक्षुओं को खोल दे और परम सत्य का ज्ञान दे lll आमीन फिर आमीन lll

Saturday, May 23, 2020

ONLINE "PRAYER “DECLARATION OF FAITH””, 24-05-2020 "IN ENGLISH"

FAILURE TO RECOGNIZE GOD'S VOICE

 NKJV Hebrews 4:12 "For the word of God is living and powerful, and sharper than any two edged sword, piercing even to the division of soul and spirit, and of joints and marrow, and is a discerner of the thoughts and intents of the heart." NKJV 2 Timothy 3:16: "All scripture is given by inspiration of God, and iprofitable for doctrine, for reproof, for correction, for instruction in righteousness, that the man of God may be complete, thoroughly equipped for every good work."
   
   On 24th April, 2020, I was in the Spirit of the Lord and made to stand in front of a path. I was with another person and we stood facing that path. Behind us was a big mountain which was spread like a rainbow from one end to the other. Although it was a rainbow, it looked as if something was written on its top. There was also an in-let or a door. A lot of people came and stood by the mountain. They looked like the rainbow. They kept coming and stood systematically one after another, forming a rainbow-like pattern. I was told to go back where I came from; and I did so. When I looked, I saw that the people's heads were at the same level with the rainbow. 

   I then started walking with some people going back to the mountain. I saw that something was happening in front. When we reached, I saw that those who were spiritually standing upright were filled with fear. It seemed as though they were fearing and thinking that we would harm them. Suddenly, something came from behind. It was like a flying fiery arrow or spear that was shot by a very tall man who was behind us. It came with a terrific sound and speed. On either side of the path were deep furrows. The sound of the flying spear scared them and many people fell into the furrows which swallowed and covered them completely. Only three people remained standing without any fear. Other people started coming and joined the three persons. Then a voice said, "These very ones are enough for me!" 

   I looked and saw that the three persons and those who joined them were standing by the door. A voice said, "The thing that scared the people was not a spear but God's voice which was telling them to enter." God said, "You are saying you want to be saved, but you have never heard or known my voice. KJV John 10: 27: "My sheep hear my voice, and I know them, and they follow me..." God said, "But as for you, I have seen that you terrified by my voice. How will you enter then?" That powerful voice was saying, "Enter through that door you people!" Unfortunately, people scampered and fell in the furrows and perished. Then God said, "Irene, those who are called are many but those who will enter are only a few. KJV Matthew 22: 14: "For many are called, but few are chosen."

   The three persons and few others who came to join them are God's children. They represent us. God said that if He came right now, we would not be saved. He would not take us home because we do not understand when He speaks to us. Sometimes, God's voice makes us weak when He is actually correcting us. But those few who remained, heard Jesus Christ's voice and entered because their eyes were fixed on Him. KJV Revelation 3: 20 says, "Behold, I stand at the door, and knock: if any man hear my voice, and open the door, I will come in to him, and will sup with him, and he with me."

   As for me, I heard God's voice as a spear following me, but I did not look back. I just felt something pushing me to enter. Those who were standing on my Father's side fell down; the way figs fall when terribly shaken. God said, "You will fall on that day!" Brethren, we must stand very well and firm. This time around, we need to be very familiar with God's voice so that when He will speak to us in future, we will be able to endure and recognize it. He said, "You need to start encouraging each other to walk uprightly because the road has now become tough." God's true church will be ashamed when she fails to enter into His kingdom. Church leaders who have exalted themselves to higher positions where God has not set them, will be ashamed when they realize that they have been left out.  

   People who were at the rainbow are those who are holding on to God's throne. They looked as if they were tied to the rainbow. Unfortunately, He said, "Even if you are right at the door, you will still fall if you do not hear my call." KJV Proverbs 1: 27-30: "When your fear cometh as desolation, and your destruction cometh as a whirlwind; when distress and anguish cometh upon you; Then shall they call upon me, but I will not answer; they shall seek me early, but they shall not find me: For that they hated knowledge, and did not choose the fear of the LORD: They would none of my counsel: they despised all my reproof."

   God's voice moves like a fiery spear and is felt as lightning when it enters in you. As it moves like a spear, it comes for the sole purpose of piercing the sin that is in you. Just where the sin of gossiping or stealing is, the word pierces and then paralyzes it. But if you are not standing upright, you will run away from His voice when He is just telling you to stop committing sin. You will even start saying, "Why is Irene telling me to stop this and that yet she is doing the same thing?" If you are not wise, you can even miss hearing it. It can make you weak; it is not just easy to hear.

   The devil still has power to block God's voice. Satan can say, "This voice which is coming with such power will destroy what I have planted in this person." So he will block it. What prevented the people from hearing the voice that was inviting them to enter was the sin that was planted in them by the devil. God is showing us that even if we are near His throne, we are still sinners. When Jesus Christ comes, sinners will see Him as their enemy, so they will run away saying, "Why has He come? He will kill us!" KJV Revelation 6:16-17 "And said to the mountains and rocks, Fall on us, and hide us from the face of him that sitteth on the throne, and from the wrath of the Lamb: For the great day of his wrath is come; and who shall be able to stand?" But the believers will be filled with joy. KJV Revelation 3: 12: "Him that overcometh will I make a pillar in the temple of my God, and he shall go no more out: and I will write upon him the name of my God, and the name of the city of my God, which is new Jerusalem...and I will write upon him my new name." If we think we will only repent when we hear the voice which says, "He who is holy, let him be holy still," then we are just wasting our time. Revelation 22: 11 "He who is unjust, let him be unjust still; he who is filthy, let him be filthy still; he who is righteous, let him be righteous still; he who is holy, let him be holy still." This message was short but very scary.

   When others are trying to encourage us to stand well, we tell them to leave us alone. KJV Proverbs 1: 24-26: "Because I have called, and ye refused; I have stretched out my hand, and no man regarded; But ye have set at nought all my counsel, and would none of my reproof: I also will laugh at your calamity; I will mock when your fear cometh." I saw things that disturbed my mind. God saw you as people who had held each other well at that rainbow. But others did not want hence, they let go of their friends' hands who wanted to help them, saying, "Leave me! Is it jail? Can't you see that my hand is paining this side?" It seems like people were tied to that rainbow (God's throne), but when the shaking came, they fell off. The best is to hold each other in Christ; if not, we will perish. KJV Matthew 25: 30  "And cast ye the unprofitable servant into outer darkness: there shall be weeping and gnashing of teeth."

   In this journey, we have to hold each other so that we are strengthened in times of falling away. If that unity was there, those people would have said to each other, "Listen, they are telling us to enter." Let us keep our friends busy with salvation even if they get angry with us. Others are saying, "Sister Irene is too persistent; she does not want us to be free." No friends! I am looking at the time we have reached. I am also forced to come to you, whether you like it or not. You have to hear it so that you will be convicted accordingly. When I am forced to tell you, and you refuse to hearken, then I will leave you. Moses used force, otherwise, everyone would have remained in Egypt and Pharaoh would have killed many. Galatians 6:2 says, "Bear one another's burdens and so fulfill the law of Christ."

   A preacher of this time must persevere. The problem is that you do not want to be advised. Some are chosen to advise others on the issue of salvation. Let us push our friends unless they blatantly refuse. Let us move with God and the Holy Spirit. He who will fight our battle is Jesus Christ. He is the only one who can give us permission to enter in God's kingdom. Matthew 25: 34 states, "Then the King will say to those on His right side, 'Come, you blessed of My Father, inherit the kingdom prepared for you from the foundation of the world.'"

   Those who were at the throne of God is His true church; the Seventh-day Adventist (SDA) Church. The three persons stand for a few among Seventh-day Adventists whose names are written in the book of life. Those who came to join the three persons are gentiles; the prostitutes, thieves, drunkards and non-Adventists. KJV John 10: 16: "And other sheep I have, which are not of this fold: them also I must bring, and they shall hear my voice; and there shall be one fold, and one shepherd." If witches and wizards will be near God's throne, what about you pastors and elders! Where will you be at that time? God was showing how a Christian who knows the message in truth and reality may fall in the last days. That is spiritual backsliding. They may not stop you from working in the church, but in God's eyes, you are a backslider because you are failing to recognize His voice. But the gentiles will hear the voice telling them to enter. Jesus said in Matthew 21:31,32: "...assuredly, I say to you that tax collectors and harlots enter the kingdom of God before you. For John came to you in the way of righteousness, and you did not believe him; but tax collectors and harlots believed him; and when you saw it, you did not afterward relent and believe him."

   Those who have already missed His voice are just like shadows in God's eyes. God tells us that we are the salt of this world. But on that day, we will be saltless. KJV Matthew 5:13 states, "Ye are the salt of the earth: but if the salt has lost his savour, wherewith shall it be salted? It is thenceforth good for nothing, but to be cast out, and to be trodden under foot by men." The time to listen to the Master's voice is now so that we will not miss it the day He will call us to  enter the new Jerusalem. We are lukewarm! God wants those who are hot. KJV Revelation 3: 15, 16: "I know thy works, that thou art neither cold nor hot: I would thou wert cold or hot. So then because thou art lukewarm, and neither cold nor hot, I will spue thee out of my mouth." Men like elders and pastors who are spiritually weak, will be the first ones to fall. Brethren, the time of shaking has come.

Sermon with Evening Prayer, "GROW IN GOD" II "ईश्वर में बढ़ें "II 23-05-2...

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